Artical 370 Review in Hindi | आर्टिकल 370 रिव्यू हिंदी में

जब आर्टिकल 370 निरस्त हो गया था, तो उसका पब्लिक रिएक्शंस हम सबने देखा, मगर उसके पीछे की जो ब्यूरोक्रेटिक एवं डिप्लोमेटिक खींचातानी थी, उस बात से कोई भी वाकिफ नहीं था। जहां मैं यह बात कहूंगा कि अपने मिनिस्टीरियल पॉलिसी मेकिंग प्रोसीजर को इस बार इस तरीके से करीब से देखने का नजरिया थोड़ा सा अलग हुआ। जिसमें से कुछ चीजें थोड़ी सी आर्टिस्टिक लिबर्टी के साथ खींची गई होंगी, मगर फिर भी आर्टिकल 3 से 7 फिल्म ने अपनी पहचान में अखंडता, प्रमाणिकता और नैतिकता का प्रमाण दिया है।


यह बात काबिले तारीफ है कि एक हाई क्वालिटी हिस्टोरिकल पॉलिटिकल एक्शन ड्रामा कैसे बनाते हैं, इस फिल्म के निर्देशक आदित्य सुहास जामले ने अपने बहुत ही कम संसाधनों में वो करके दिखाया, जो बड़ी-बड़ी प्रोडक्शन कंपनीज अपने बड़े पैसों के साथ नहीं कर पाती। वो कहते हैं ना कि कोई काम करने से पहले आपका दिल सही जगह होना चाहिए, और वो दिल यहां पे नजर आता है।






Jammu and Kashmir is Now Administered by India | जम्मू कश्मीर भारत द्वारा अब एडमिनिस्टर होता है

जिसके छोटे में अगर इसकी कहानी बताऊं तो, जम्मूकश्मीर के स्पेशल स्टेटस के रिव करने के ऊपर ये कहानी है कि कैसे आर्टिकल 370 के तहत दी गई ऑटोनॉमी को हटाया गया था, और जिसके बाद यह रीजन भारत द्वारा अब एडमिनिस्टर होता आ रहा है। फिल्म हमें और भी बेहतर तरीके से समझाने के लिए छह भागों में शुरू होती है, कि एक्चुअल कांसेप्ट की शुरुआत कब से हुई थी, 5 अगस्त 2019 से 3 साल पहले 2016 के कुछ एक्सट्रीम अनफॉर्चूनेटली करने के बाद, जिसके बाद धीरे-धीरे कहानी और ब्यूरोक्रेटिक होना शुरू हो गए, कि इस प्रॉब्लम को बाहर से नहीं बल्कि अंदर से ठीक करना होगा।


क्योंकि इट्स अ रियली डिफरेंट पर्सपेक्टिव ऑन आर्टिकल 370 कि इंटरनली स्टेट कैसे फंक्शन करता है, पार्लियामेंट्री सिस्टम क्या है, उनका क्या-क्या लूप होल निकाला जा सकता है, एंड ये थॉटफुलनेस आपको बहुत इंप्रेस करती है, वो भी जब आप 23 साल के हो। हर छोटी डिटेल, उनका रिसर्च, सीक्रेसी, कैसे मेंटेन करनी है, क्या-क्या सिक्योरिटी मेजर्स लेने की जरूरत है, डी कॉयज, ब्लफ्स, उनका फाइनल पोडियम पे पहुंचने से पहले जो तैयारी करना होता है


जब दूसरे को रियलाइफ होता है ना कि ये तैयार के यहां पे आया है, वो मूवमेंट काफी बैड एस होता है, जिसके एग्जीक्यूशन के साथ-साथ, मूवी के परफॉर्मर्स की भी बात करें, तो मूवी का चेहरा है यामी गौतम, जहां उनकी भी बैक स्टोरी दिखाई गई है, एंड में वो भी फाइनली मूव ऑन कर पाती है, वेर शी इज द एंट्री पॉइंट ऑफ द मूवी, जो अनुच्छेद 370 को पहली बार हमसे रूबरू करती है।


The Action Sequences are Detailed | एक्शन सीक्वेंस को डिटेल रखा है

एक्चुअली में, मीन क्या करता है? एंड फिर, उनका हार मान लेना, एंड तक साथ में लगे रहना, और जो अथॉरिटी वो खुद के साथ लेकर आती है, ना कि एक गवर्नमेंट प्रोफेशनल को एक्चुअली में होना कैसा चाहिए, वो विशेष रूप से नजर आता है। यू टेक हर डैम सीरियसली, जिसके साथ आई, डोंट थिंक कि मैं बाकी टैलेंट्स ध्यान देना, टैलेंट्स में कोई कमियां निकाल सकता हूं। प्रिया, मनी, कांत, संजीव, अश्विन, कॉल, अरुण, गोविल, एंड स्पेशली, किरण, कमाकर, एज होम, मिनिस्टर, क्या काम किया है, बंदे ने, मेरे फेवरेट हो गए।


एक डायलॉग था, बहुत फेवरेट की, यार अब तो हो गया, करना क्या है इसमें? बेस्ट था, बेस्ट ऑफ द बेस्ट, छा गए वो। वहां पे, गले मिलने वाली परफॉर्मेंस की, ये उन्होंने मजा आए, देख के, फेवरेट है मेरे। जिसमें से एक चीज, बहुत खूबसूरत लगती है, कि फिल्म ईमानदार नजर आती है। आदित्य धार, इस प्रोजेक्ट के साथ, पर्सनली इवॉल्व थे, प्रोडक्शन एंड स्क्रीन प्ले में।


तो उनकी फिल्म मेकिंग के एसेंस भी आप पूरी तरीके से देख पाते हो। जिस बारीकी से उन्होंने मिलिट्री को हैंडल किया है, उनके एक्शन सीक्वेंसेस को, इतना डिटेल रखा है, और अपने परफॉर्मेंसेस को भी, हाईली ट्रेन किया हुआ है। कि गन कैसे पकड़ते हैं, सेफ्टी लॉक कैसे खोलते हैं, और जिस तरीके से अपने फोर्सेस काम कैसे करते हैं, वो छोटी-छोटी डिटेल्स, जो आपको एक्सट्रैक्शन, जॉन विक या जेसन स्टैटम जैसी मूवीज में देखने को मिलती है, वो भयंकर डिटेल आपको इसमें नजर आता है।


The Visuals and Screenplay Were Engaging | विजुअल और स्क्रीनप्ले इंगेजिंग लगे

अब वैसे तो ये कोई पूरी एक्शन मूवी तो नहीं है, इट्स मोर पॉलिटिकल थ्रिलर। लेकिन जितना भी छोटा एक्शन दिखाया गया है, वो पूरा तबीयत खुश कर देता है, क्योंकि क्वालिटी बहुत कमाल की है। नाउ अब इसकी विजुअल अपील, रॉ एंड कोल्ड होने के साथ-साथ, थोड़ी स्टाइलाइज्ड भी है। अपने कश्मीर फाइल्स की सिनेमेट ग्राफी के कंपैरिजन में, थोड़ा सा और खूबसूरत नजर आती है, जो कि ये क्वालिटी, अपनी कहानी पे हावी नहीं होने देती। देयर इज अ ब्यूटीफुल बैलेंस ऑफ स्टाइल, इन दी सब्सटेंस।


क्योंकि ढाई घंटे से ऊपर की कहानी में, ये कभी भी अपनी पेस को हल्का नहीं छोड़ती, एव्री सेकंड इज फॉर द स्टोरी, जो कि बस आपको थोड़ा सा अटेंशन मांगती है, एंड फिर, यह आपका पूरा हो जाती है। तो, आर्टिकल 370 मुझे बहुत पसंद आई, बहुत-बहुत पसंद आई। जहां दिल तो बहुत खुश हो जाता है, कि जब आप निश्छल रूप से अपनी गंभीरता का सम्मान करते हो। जहां हाल ही में, हॉलीवुड मूवीज की ऐसी कुछ कॉरपोरेट मूवीज नहीं आई हुई हैं, जिनमें वो बोरिंग कॉरपोरेट कांसेप्ट को कितनी कमाल तरीके से प्रेजेंट किया हुआ है, उन्होंने। जिसका एक-एक सेकंड वर्थ हिट होता है, जैसे कि हाल ही में आई टेटिस या बेनिफिक की एयर, जिसको लेकर वही सेम फीलिंग यहां भी महसूस होती है।


कि अगर आपका स्क्रीन प्ले कमाल का रहा, वो स्क्रीन प्ले स्ट्रांग रहा, तो कोई आपको रोक नहीं सकती। आपकी फिल्म को इंगेजिंग बनाने से, वो मेहनत आपको जाहिर तौर से नजर आती है। कि ढाई घंटे की फिल्म, आज के टाइम में, कोई छोटी बात नहीं होती। मेकर्स ने इस लंबी कहानी को दिखाने का निर्णय लिया, क्योंकि यह बतलाता है, कि आप अपनी कहानी को सीरियसली कितना लेते हो। इर रिस्पेक्टिव तौर से, कि आज का ट्रेंड क्या इशारा करता है, कि आपको किस तरीके से फिल्म बनानी चाहिए।

Post a Comment

0 Comments