Guntur Kaaram Review in Hindi | गुंटूर करम रिव्यु हिंदी में
सुपरस्टार महेश बाबू स्टारर, तेलुगु एक्शन ड्रामा फिल्म, यानी कि गुंटूर कारम, थिएटर्स में रिलीज हुई। इस फिल्म के साथ कुछ ना कुछ गड़बड़ तो हो रही है। फिल्म में काफी महेश बाबू स्टारर और डायरेक्टर त्रिविक्रम द्वारा डायरेक्टेड, ये फिल्म एक बहुत ही इमोशनल और मजेदार फिल्म साबित होती है।
और एक चीज जो फिल्म देखते समय आप महसूस करंगे, की यहां पर महेश बाबू ने अपनी पिछली फिल्मों के कंपेयर में यहां पर ज्यादा एफर्ट दिया है। चाहे बात करें कैरेक्टर की, चाहे बात करें एक एनर्जी की, हर एक जगह पर जो है, वो कहीं ना कहीं एक एक्स्ट्रा एफर्ट डालते हुए नजर आते हैं।
No One Thought the Director Would do This | डायरेक्टर ऐसा करेगा किसी ने नहीं सोचा
फिल्म की स्क्रिप्ट जो है, वो कहीं पर भी उनके इस परफॉर्मेंस को सपोर्ट नहीं करती है। आप देखोगे तो, कैरेक्टर लेवल पर उन्होंने कहीं पर भी कॉम्प्रोमाइज नहीं किया है। तो, आप समझ सकते हो कि एक्टर को कहीं ना कहीं भरोसा था कि डायरेक्टर जो है, फिल्म में कुछ गड़बड़ नहीं करेंगे।
पर डायरेक्टर साहब ऐसा कुछ कर देंगे, ये तो किसी ने सोच ही नहीं था। अक्सर देखा जाता है कि, जब कभी भी कोई बड़ा डायरेक्टर, श्री विक्रम श्रीनिवास जैसा कोई बड़ा डायरेक्टर, किसी सुपरस्टार को अप्रोच करता है फिल्म को लेकर।तो साउथ में तो अक्सर ऐसा ही होता है कि, स्टोरी लेवल पर ही जो है, अक्सर बहुत सारे एक्टर्स होते हैं, जो फिल्म को ओके कर देते हैं। तो, यहां पर जो है, ऐसा ही हुआ है।
यहां पर स्टोरी लेवल पर ही जो है, महेश बाबू ने फिल्म को कहीं ना कहीं ओके कह दिया होगा। और स्टोरी देखोगे तो, फिल्म की स्टोरी जो है, अच्छी नजर आती है।
Good Basic Story Line | अच्छीबेसिक स्टोरी लाइन
शुरुआत देखोगे, अंत देखोगे, फिल्म का तो, बेसिक स्टोरी लाइन जो है, अच्छी थी। पोटेंशियल रखती थी, एक अच्छी कमर्शियल फैमिली एंटरटेनर साबित होने की। पर यहां पर, इस स्टोरी के साथ, डायरेक्टर ने जो स्क्रिप्ट यहां पर डेवलप की है, वो उतनी अच्छी नहीं है।
एक बहुत ही बोरिंग स्क्रीन प्ले यहां पर फिल्म का देखने को मिलता है, जहां पर कुछ भी नहीं हो रहा है। हर एक चीज जो है, बार-बार रिपीट होती हुई नजर आती है। पूरी फिल्म में, महेश बाबू एक शहर से दूसरे शहर, गाड़ी लेके घूम रहे हैं। कभी श्रीलीला का डांस देख रहे हैं, कभी बैठ के किसी को वार्निंग दे रहे हैं, तो कभी किसी को मार रहे हैं, पीट रहे हैं। कहानी और कैरेक्टर लेवल पर, कुछ भी बीच में जो है, होता हुआ नजर ही नहीं आता है।
एक मास एंटरटेनर फिल्म, सुपरस्टार महेश बाबू हैं, त्रिविक्रम ने डायरेक्ट की है। ऐसी एक फिल्म के अंदर, ऐसी एक फिल्म के अंदर, पूरी फिल्म निकल जाती है। एक ऐसा मूमेंट नहीं आता है, जहां पर आपको एक प्रॉपर बिल्डअप के साथ एक अच्छा एलिवेशन जो है, देखने को मिल रहा हो।इन सभी के साथ, फिल्म में क्रिंज श्रीलीला भी देखने को मिलती है, जिनके पास एक मात्र टैलेंट है, और उसको भी जो है, फिल्म में बहुत ही खराब तरीके से, यहां पर यूज किया गया है।
Get to Hear Meaningful Dialogues | मीनिंगफुल डायलॉग सुनने को मिले
फिल्म का फर्स्ट हाफ, जैसे-तैसे करके, पाबल कॉमेडी के साथ निकल जाता है, पर सेकंड हाफ, जब फिल्म का स्टार्ट होता है, त्री विक्रम श्रीनिवास की फिल्में, जिनमें अक्सर ही हमें काफी मीनिंगफुल डायलॉग सुनने को मिलते थे, उनकी एक फिल्म आ रही है, और उनकी फिल्म के अंदर, ऑडियंस को सीटियां और तालियां बजाने के लिए सोचना पड़ रहा है।
हालांकि, गाली वो बोली तो नहीं गई है फिल्म में, पर गाने में, महेश बाबू के जो हैंड मूवमेंट्स थी, उसे देखकर साफ कोई भी बता सकता है कि वो जो वर्ड वहां पे यूज नहीं किया गया है, वो वर्ड यहां पर हाथों के द्वारा, हाथों के इशारों के द्वारा जो है, बोलने की कोशिश की जा रही है।
फिल्म में जितने भी फीमेल कैरेक्टर्स हमें देखने को मिलते हैं, उनके लिए जिन एक्टस को यहां पर कास्ट किया गया है, उनको देखने के बाद बस दिल में यही सवाल उठता है कि यहां पर, राम्या कृष्णन जी जैसी एक्ट्रेस हैं, और उनको यहां पर हार्डली 10 से 15 मिनट का समय दिया गया है, जबकि वो कहानी में एक इंपॉर्टेंट रोल प्ले करती है। और उनकी अगर बात छोड़ दी जाए, और बाद में बचे यहां पर श्रीलीला और मीनाक्षी चौधरी, तो श्रीलीला को यहां पर फिल्म में एक बहुत ही बेवकूफ लड़की की तरह यहां पे दिखाया गया है, जो पूरी फिल्म में, जिसका जब बन करता है, तब नाचना स्टार्ट कर देती है।
Got to Hear Background Music | बैकग्राउंड म्यूजिक सुनने को मिला
उनके पास पास एक मात्र टैलेंट है, कि वो अच्छा डांस कर लेती है, और उसे भी फिल्म में इतनी बुरी तरीके से, इतना ज्यादा यूज किया गया है, कि एक समय के बाद उसे पर्दे पर देखना जो है, एक टॉर्चर की तरह बन जाता है। इसके अलावा, अगर बात करें मीनाक्षी चौधरी की, तो शायद यही वो रोल था, जो शायद पूजा हेगड़े के पास था, और पूजा हेगड़े जो है, इस फिल्म को छोड़ के निकल गई थी।
तो, मीनाक्षी चौधरी के रोल को देखकर, साफ पता चल जाता है कि यहां पर, छोड़ने की जो वजह थी, वो काफी स्ट्रांग ही रही होगी।क्योंकि, मीनाक्षी चौधरी का पूरी फिल्म के अंदर, अगर कुछ रोल था, वो बस इतना था कि वो प्लेट पकड़कर, इधर से उधर, जो है, खाना पहुंचाए। इसके अलावा, पूरी फिल्म में उनके पास कोई काम नहीं था। एसएस तमन की म्यूजिक की अगर मैं बात करूं, तो देखिए, दम मसाला जो गाना था, वो अच्छा था, ठीक-ठाक था। फिल्म के हिसाब से, वो अच्छा नजर आता है, सुनाई अच्छा देता है। बाकी, र्ची मारद पिट्टी गाना जो है, वो वैसे भी उनका ओरिजिनल क्रिएशन है नहीं। जो मेन ट्यून है, जो बीट्स है, वो ऑलरेडी जो है, उन्होंने एक डीजे वाले से लिया है। हालांकि, उन्होंने क्रेडिट वगैरह जो है, सब देके रखा हुआ है। तो, वो उनका ओरिजिनल क्रिएशन है नहीं।
बाकी, पूरी फिल्म के अंदर, एक बैकग्राउंड म्यूजिक सुनने को मिलता है। जहां पर, थोड़ा सा ध्यान से सुनोगे, तो साफ पता चलेगा कि विक्रम का जो बैकग्राउंड म्यूजिक था, उसी के ऊपर अपना एक कोई बीजीएम चढ़ाकर जो है, यहां पर मिक्स करके, वो परोसने की कोशिश करते हैं।जो एक भी सीन को जो है, फिल्म में एलीवेट नहीं करता है। कुल मिलाकर कहा जाए तो, पॉजिटिव्स में केवल महेश बाबू का एफर्ट और कुछ इक्का-दुक्का छोटे-मोटे कॉमेडी सींस जो कि, ठीक-ठाक तरीके से काम कर लेते हैं।